क्या है ताजमहाल की सच्चाई?
चलो आज चलते है, दुनियाके अजुबेमेसे एक अजुबे के पास। ये अजूबा भारत मे है, लगता है आप ने अब पहचान लिया होंगा। हा सही पकडे ताजमहल!! दुनिया के सात अजूबों में से एक है यह, अपनी भव्य सुंदरता और शाहजहां-मुमताज़ की प्रेम कहानी के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जितना यह अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है उससे भी कई ज़्यादा यह अपने पीछे छुपाये गए रहस्यों के लिए बदनाम है। पिछले कुछ दशकों से यह एक विवाद बना हुआ है कि दुनिया का यह अजूबा ताजमहल वास्तव में ताजमहल है, या तेजो महालय। दरअसल ताजमहल के तैखाने में कुल 22 कमरे हैं। यह तहखानें न जाने कितनी सदियों से बंद पड़े हैं। आखिर क्या है इस तैखाने का रहस्य और यह तहखाने बंद क्यों पड़े हैं, आईये जानते हैं।
कुछ सिद्धांतकार ऐसा मानते हैं कि ताजमहल के बेसमेंट के कक्ष मार्बल से बने हुए हैं। यदि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक होगी तो वह कैल्शियम कार्बोनेट में बदल जायेंगे। कार्बन डाइऑक्साइड इन मार्बल्स को पाउडर का रूप देने लगता है जिसके चलते दीवारों को नुकसान पहुंच सकता है। दीवारों को नुकसान न पहुंचे इसलिए इन तैखानों को बंद किया गया है। यहां पर लोगों के आने पर भी मनाही है।
कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि मुमताज़ महल का शरीर आज भी तहखाने में उसी हालत में दफन हैं जैसे कि वह मरने से पहले थीं। कहते हैं कि मुमताज़ महल के शरीर को यूनानी तकनीक के अनुसार संरक्षित किया गया है। इस तकनीक का इस्तेमाल इसलिए किया गया था क्योंकि इस्लाम धर्म में मृत्यु के बाद शरीर को काटना या शरीर को किसी प्रकार की क्षती पहुंचाना धर्म के खिलाफ़ और प्रतिबंधित होता है। मुमताज़ का निधन होने के बाद उनके शरीर को टिन के एक संदूक में ऐसी जड़ी-बूटियों के साथ रखा गया है, जो मांस को सड़ने से रोकती है।
1934 में दिल्ली के एक निवासी ने दीवार पर बने एक छेद के ज़रिये ताजमहल के तैखाने के अंदर मौजूद एक कमरे में झांका। उसने देखा कि वह कमरा स्तंभों से बना एक बहुत बड़ा हॉल था,और वह स्तंभ हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा था। उस व्यक्ति ने उस हॉल में भगवान शिव की एक मूर्ती भी देखी। उस व्यक्ति के अनुसार कमरे में रौशनदानियां बनी हुई थी, जो आमतौर पर बड़े हिंदू मंदिरों में देखने को मिलती है। उन रौशनदानियों को संगमर्मर के पत्थर से ढंका गया था, जिसे देख कर लगता है कि किसी ने वहां के हिंदू मूल को छुपाने का पूरा प्रयत्न किया था। वहां के स्थानीय लोगों का भी मानना है कि ताजमहल पहले एक हिंदू मंदिर था जो तेजो महालय के नाम से प्रसिद्ध था। बाद में इसे ताजमहल का रूप दे दिया गया। परंतु सच्चाई क्या है यह आज भी किसी को नहीं पता।
सरकार इस विषय को दबाकर रख रही है। क्योकी ये तो सच बात है, की ये पहले शिव का मंदिर था। अब अगर सरकारने इस विषय को बाहार निकाला तो , हिंदू मुस्लिम दंगे हो सकते है। इसिलीये सरकार इस विषय को दबा कर रख रही है।
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