चिखलदरा कम नही किसी स्वर्ग से।
प्रकृती का सबसे अनोखा नजरा आज हम बात करणे वाले है,
चिखलदरा।चिखलदरा ये बहोत ही सुंदर और थंडी जगह मे से एक है। यह बहोत ही
सुंदर जगाह है, श्रावण मास मे बहोत से लोग यहा पर आते है। जाडो के दिन मे
भी यहा पर पर्यटको की भीड लगी रहती है।
चिखलदरा ऐ जगह महाराष्ट्र के अमरावती जिले मे आती है। मेळघाट जंगल मे बसा हुआ ये अमरावती से लगभग 90 किमी दुरी पर यह जगह है। बहोत ही घनी जंगलो के बीच मे ऐ जगाह है। जैसे ही हम इस के पास पहुच जाते है, तो हमे थंड का ऐहसास होणे लगता है।
यहा की हरियली आपको बहोत बडे पैमाणे पर पसंद आयेगी। यहा के बडे झरणे आपको अपनी तरफ आकर्षित करेंगे। यहा का थंडा मौसम आपको बहोत पसंद आयेगा।
चिखलदरा मे पंचकबोल, देवी, सनसेट, और भी बहोत पॉईन्ट है। गावीलगड करके एक ऐतिहासिक किला भी है। यहा पर आपको बडे बडे झरणो का दर्शन मिलेंगा। अभूतपूर्व ऐसे झरने आपको अच्छी बरसात होणे के बाद दिखेंगे। यहा पर ज्यादातर लोग थंडकाले ओर बरसात मे आते है। यहा का जो नजरा होता है इस दौरान वो देखणे लायक होता है। यहा की थंडी हवाये मन को प्रफुल्लित कर देती है। पाणी बहोत होता है जीसके कारण हर तरफ आपको चिखल ही चिखल नजर आयेगा।
पंचबोल पॉईंट की यह विशेता है की अगर आपणे यहा से एक आवाज निकाली तो आपको वो आवाज पाच बार सुनाई देंगी। पाच पहाडी यो के वजहसे हमे ये आवाज पाच बार सुनाई देती है।
देवी पॉईंट पर गुफा है और गुफा के अंदर माता रेणुका का मंदिर है। यह मंदिर वैष्णवी माता जैसे ही बनाया गया है। बस फरक इतना है, इस गुफा मे पाणी चालू रहता है बरसात के मौसम मे। आपको अगर दर्शन लेना है तो पानी मे ही दर्शन लेना पडता है।
सनसेट पॉईंट बहोत ही खूबसुरत नजरा दिखाता है यहा से। दुबता हुआ सुरज आपने पहले कभी नही देखा होंगा ऐसा आपको इस पॉईंट से दिखेंगा। यह पॉईंट सबसे उचाई पर स्थित है।
गाविलगड किले की विशेषता है की ये बहोत ही अंदर है फिर भी वहापर बहोत बडा किला है। मै परेशान था जब मै वहा पर गया था। तो मैने देखा की बहोत बडे पैमाणे पर पत्थर वहा पर थे। वो जो पत्थर थे उनको एक समान काटा गया था। उनकी संख्या बहोत थी। दरवाजा तो इतना बडा है की आजके जमाणे मे भी हम वहातक ले जाना मुस्किल ही नहि नामुकीन है। मुझे एक सवाल हमेशा सताते रहता है, क्या किया होंगा ऊस वक्त वो लोगो ने ये सब कैसा बनवाया होंगा। आप को भी जरूर देखणा चाहीये ये।
चिखलदरा बहोत ही खूबसुरत और थंडी जगाह मे से एक है। यहा पर बडी पैमाणे पर स्टोयबेरी का उत्पादन किया जाता है। यहा का जो मौसम है वो बहोत ही थंडा होणे के कारण यहा पर स्टोयबेरी का फल बडे पैमाणे पर पैदा होता है।
चिखलदरा ऐ जगह महाराष्ट्र के अमरावती जिले मे आती है। मेळघाट जंगल मे बसा हुआ ये अमरावती से लगभग 90 किमी दुरी पर यह जगह है। बहोत ही घनी जंगलो के बीच मे ऐ जगाह है। जैसे ही हम इस के पास पहुच जाते है, तो हमे थंड का ऐहसास होणे लगता है।
यहा की हरियली आपको बहोत बडे पैमाणे पर पसंद आयेगी। यहा के बडे झरणे आपको अपनी तरफ आकर्षित करेंगे। यहा का थंडा मौसम आपको बहोत पसंद आयेगा।
चिखलदरा मे पंचकबोल, देवी, सनसेट, और भी बहोत पॉईन्ट है। गावीलगड करके एक ऐतिहासिक किला भी है। यहा पर आपको बडे बडे झरणो का दर्शन मिलेंगा। अभूतपूर्व ऐसे झरने आपको अच्छी बरसात होणे के बाद दिखेंगे। यहा पर ज्यादातर लोग थंडकाले ओर बरसात मे आते है। यहा का जो नजरा होता है इस दौरान वो देखणे लायक होता है। यहा की थंडी हवाये मन को प्रफुल्लित कर देती है। पाणी बहोत होता है जीसके कारण हर तरफ आपको चिखल ही चिखल नजर आयेगा।
पंचबोल पॉईंट की यह विशेता है की अगर आपणे यहा से एक आवाज निकाली तो आपको वो आवाज पाच बार सुनाई देंगी। पाच पहाडी यो के वजहसे हमे ये आवाज पाच बार सुनाई देती है।
देवी पॉईंट पर गुफा है और गुफा के अंदर माता रेणुका का मंदिर है। यह मंदिर वैष्णवी माता जैसे ही बनाया गया है। बस फरक इतना है, इस गुफा मे पाणी चालू रहता है बरसात के मौसम मे। आपको अगर दर्शन लेना है तो पानी मे ही दर्शन लेना पडता है।
सनसेट पॉईंट बहोत ही खूबसुरत नजरा दिखाता है यहा से। दुबता हुआ सुरज आपने पहले कभी नही देखा होंगा ऐसा आपको इस पॉईंट से दिखेंगा। यह पॉईंट सबसे उचाई पर स्थित है।
गाविलगड किले की विशेषता है की ये बहोत ही अंदर है फिर भी वहापर बहोत बडा किला है। मै परेशान था जब मै वहा पर गया था। तो मैने देखा की बहोत बडे पैमाणे पर पत्थर वहा पर थे। वो जो पत्थर थे उनको एक समान काटा गया था। उनकी संख्या बहोत थी। दरवाजा तो इतना बडा है की आजके जमाणे मे भी हम वहातक ले जाना मुस्किल ही नहि नामुकीन है। मुझे एक सवाल हमेशा सताते रहता है, क्या किया होंगा ऊस वक्त वो लोगो ने ये सब कैसा बनवाया होंगा। आप को भी जरूर देखणा चाहीये ये।
चिखलदरा बहोत ही खूबसुरत और थंडी जगाह मे से एक है। यहा पर बडी पैमाणे पर स्टोयबेरी का उत्पादन किया जाता है। यहा का जो मौसम है वो बहोत ही थंडा होणे के कारण यहा पर स्टोयबेरी का फल बडे पैमाणे पर पैदा होता है।
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